PRERAK PRASANG OF A P J ABDUL KALAM

Amit Kumar Sachin

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Table of Contents

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के जीवन  से सम्बंधित 15 प्रेरक प्रसंग

 
 

 

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम ने भारत की हर उस तरह से सेवा की है 
जिससे हर देशवासी का सर गर्व से ऊँचा हो सके,
 एवं भारत के राष्ट्रपति के पद पर रह कर जिस अराजनैतिक तरीके से
 अपने पद की गरिमा को निभाया है, 
उसकी सराहना पूरी दुनिया करती है.
 भारत के अंतरिक्ष और रक्षा कार्यक्रमों में डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम
 के अनुकरणीय योगदान को उजागर करने के लिए कोई भी विशेषण पर्याप्त नहीं हैं।
 इनकी विनम्रता और उदारता ने हर भारतीय का दिल जीत लिया है।

डॉ. ए.पी.जे. अबदूल कलाम का नाम सुनते ही हमारे मन में एक ऐसे व्यक्ति का चित्र उभरता है, जिसकी आंखों में नए भारत की तस्वीर बसती थी। तमिलनाडु स्थित एक छोटे से तीर्थ गांव रामेश्वरम् में नौका-मालिकों के अल्प-शिक्षित परिवार में जन्मे कलाम, जिन्होंने भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान और मिसाइल विकास कार्यक्रम की नींव रखी थी वे हमारे समय के अत्यंत महत्वपूर्ण वैज्ञानिक के रूप में उभरे थे। ‘भारत रत्न’ कलाम ने रक्षा वैज्ञानिक के रूप में अद्भुत ख्याति अर्जित की। उनका मानना था कि कठिनाइयों एवं संकटों के माध्यम से ईश्वर हमें आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता हैं। राष्ट्र की युवा शक्ति और बच्चों को प्रेरित कर वे भारत को एक महान राष्ट्र बनाने का स्वप्न सँजोए हुए देशकार्य में निरंतर लगे रहते थे। वे कहते थे- ‘युवाओं का उचित मार्गदर्शन करना जरूरी है, ताकि उनके जीवन को उपयुक्त दिशा मिल सके और उनकी सृजनात्मकता भी खिल सके।‘

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम ने भारत की हर उस तरह से सेवा की है जिससे हर देशवासी का सर गर्व से ऊँचा हो सके, एवं भारत के राष्ट्रपति के पद पर रह कर जिस अराजनैतिक तरीके से अपने पद की गरिमा को निभाया है, उसकी सराहना पूरी दुनिया करती है. भारत के अंतरिक्ष और रक्षा कार्यक्रमों में डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम के अनुकरणीय योगदान को उजागर करने के लिए कोई भी विशेषण पर्याप्त नहीं हैं। इनकी विनम्रता और उदारता ने हर भारतीय का दिल जीत लिया है। आम लोगों के राष्ट्रपति के रूप में जाने जाने वाले डॉ कलाम के बारे में इन दुर्लभ कहानियों से आपके मन में उनके प्रति सम्मान कई गुना बढ़ जाना निश्चित है.

उनका संपूर्ण जीवन ही दूसरों के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं। उनके जीवन से जुड़ी हर घटना से हम कुछ सीख सकते है। इसी बात को ध्यान में रखकर यहाँ उनके जीवन से जुड़े कुछ प्रसंग दिये जा रहे हैं, जो आपको प्रेरणा तो देगें ही साथ ही यह प्रसंग आपको डॉ. कलाम के जीवन के और नजदिक भी ले जाएंगे।

Abdul Kalam – Motivational Story #1

तीव्र इच्छा शक्ति 

 

दीपावली त्योहार का दिन था, एक छोटा मुस्लिम बालक भी हिन्दुओं का यह उल्लासपूर्ण पर्व मनाना चाहता था, लेकिन वह बहुत गरीब था, और चूँकि अखबार बेचकर वो बेचारा अपनी पढ़ाई का खर्च जुटाता था और दो पैसे की मदद अपने गरीब बाप की भी किया करता था, अतः उसके पास पर्याप्त पैसों की कमी थी। संयोगवश उस दिन उसने अखबार बेचकर अन्य दिनों की अपेक्षा पाँच पैसे ज्यादा कमाये। तब वह पटाखे वाले के पास जाता है और उससे एक रॉकेट की माँग करता है, परन्तु वह विक्रेता रॉकेट देने से मना कर देता है यह कहते हुए कि पाँच पैसे में रॉकेट नहीं आता है। बालक निराश हो जाता है और दुकानदार से कहता है, ‘अच्छा मुझे पाँच पैसे के खराब पटाखे ही दे दो?’
‘खराब मतलब? वे किस काम आयेंगे?’
‘मैं उनसे रॉकेट बना लूँगा?’
इसके बाद वह पाँच पैसे में ढेर सारे खराब पटाखों का कूड़ा उठा लाया और एक नहीं कई रॉकेट बनाये और उस दिन उसके गाँव में मुस्लिम मोहल्ले में गगन की दूरी नापने वाले दीवाली के रॉकेट केवल उस बालक के आँगन से ही छोड़े गये थे। वह बालक ही आगे चलकर मिसाइल-मैन के नाम से प्रसिद्ध हुआ। और बाद में वह बालक भारत का राष्ट्रपति भी बना। उस बालक का नाम ए. पी. जे. अब्दुल कलामथा।
          यदि मन में कुछ करने की तीव्र इच्छा हो तो आप अपनी बुद्धिमत्ता का प्रयोग कर के प्रतिकूल परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बना सकते हैं।

Abdul Kalam – Motivational Story #2

जब कलाम ने बच्चों को घुमाने की जिम्मेदारी स्वयं ली

 

यह बात उस समय कि है, जब कलाम इसरो के बहुत ही महत्वपूर्ण और लंबे समय से चले आ रहे प्रोजेक्ट पर अन्य 70 वैज्ञानिकों के साथ दिन-रात मेहनत कर रहे थे। मिशन में आ रही तकनकी दिक्कतों से वे मिशन की सफलता को लेकर संशय में थे। लेकिन वे आशावान भी थे।
उस समय कलाम अपने ऑफिस में बैठ कर प्रोजेक्ट के बारीकियों पर विचार कर रहे थे और इस परेशानी के समय में भी वे एक हिंदी गीत कि कुछ लाईने गुनगुना रहे थे –
होंगे कामयाब
हम होंगे कामयाब,
हम होंगे कामयाब एक दिन…
हो-हो-हो पूरा हैं विश्वास, मन में है विश्वास
हम होंगे कामयाब एक दिन।।
उसी समय कलाम के चेंबर में एक वैज्ञानिक ने आकर उनसे आग्रह किया कि क्या वह आज शाम साढ़े पांच बजे काम खत्म करके घर जा सकता है। उसका कहना था कि उसने अपने बच्चों को आज प्रदर्शनी में ले जाने का वादा किया है। यह सुनकर कलाम ने उसे आज्ञा दे दी। वह वैज्ञानिक खुशी-खुशी फिर काम पर लग गया।
उसके बाद वह वैज्ञानिक काम में इतना लीन हो गया की उसे अपने बच्चों से किये वादों का भी ख्याल नहीं रहा। उसे इस बात कि तब सूध हुई जब उसने कई घंटे बाद अपनी घड़ी देखी। जिसमें साढ़े आठ बज रहे थे।
यह देख वह जल्दी-जल्दी कलाम के चेंबर में पहुंचा, लेकिन उसे यह देखकर निराशा हुई की डॉ. कलाम वहां नहीं थे। उसे अपने बच्चों से किए वादे न पूरा करने का दुख था।
वह उदासमन अपने घर लौट आया। घर लौटने पर उसने अपनी पत्नी से पूछा- बच्चे कहां है?
तो पत्नी ने उत्तर देते हुए कहा- ‘तुम नहीं जानते? तुम्हारे मैनजर डॉ. कलाम घर आए थे और बच्चों को अपने साथ प्रदर्शनी दिखाने ले गए।‘
यह सुनकर वह मन नही मन कलाम को धन्यवाद देते हुए हंसने लगा।
दरसल, जब डॉ. कलाम ने देखा कि वैज्ञानिक जोर-सोर एवं पूरी तरह संलगन होकर काम में लगे हुए हैं, तो उन्होंने सोचा की इन्हें काम को बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। उनका ध्यान नहीं भटकना चाहिए। लेकिन जब किसी ने अपने बच्चों से वादा किया है तो वे जरूर प्रदर्शनी देखने जाएंगे। इसलिए उन्होंने बच्चों को घुमाने का काम स्वयं करने का फैसला किया और उन्हें प्रदर्शनी दिखाने ले गए।

 

Abdul Kalam – Motivational Story #3

साथी वैज्ञानिकों की फिक्र

 

यह प्रसंग उस समय का हैं, जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंघान क्रेंद्र के वैज्ञानिक नये उपग्रह के प्रेक्षेपण के संबंध में फ्रांस गये हुए थे और उसी समय अंतराल में उन्हें भारत में भी नये उपग्रह के प्रक्षेपण को समयबद्ध तरीके से पूर्ण करना था। उस समय डॉ. कलाम भारत के राष्ट्रपति थे। लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि वे राष्ट्रपति का पद संभालते हुए भी कभी अपने मुख्य पेशे से दूर नहीं हुए। वे उस समय इसरो के प्रेक्षेपण प्रणाली के मुख्य अधिकारी के रूप में कई प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों की टीम का नेर्तित्व  करते थे।
जब वैज्ञानिक फ्रांस के फ्रेंच गुयाना से भारत लौट रहे थे तब एयपोर्ट के अधिकारियों  ने उनका पासपोर्ट जांच कर उन्हें विशेष व्यक्तियों को दी जाने वाली सुरक्षा दे दी! यह देखकर वैज्ञानिक कुछ उलझा हुआ महसूस करने लगे।
तब उन्होंने उन अधिकारियों से पूछा – क्या कोई समस्या है?
इस पर एयरपोर्ट के एक अधिकारी ने कहां – उन्होंने हमें ऐसा ही करने को कहा है।
कुछ समय पश्चात, एयरपोर्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उनसे आग्रह किया की आपलोगों की फ्लाइट आधे घंटे बाद है। इसलिए तब तक आप लोग विशेष रूप से राष्ट्राध्यक्षों के लिए बनाए गए रेस्ट रूम का प्रयोग कर सकते हैं। इस बात को सुनकर एक वैज्ञानिक ने कहा कि हमारे पास पहले से ही विशेष श्रेणी के टीकट उपल्बध है और हमारी फ्लाइट बस अब से तीन घंटे बाद उड़ान भरने वाली है।
तब फिर एक एयरपोर्ट का अधिकारी उनको समझाते हुए बोला कि – ‘राष्ट्रपति डॉ. कलाम ने उनको विशेष र्निदेश दिये हैं और कहा है कि इसरो के वैज्ञानिक कुछ दिनों से काफी व्यस्त हैं। उन्हें ईनसेट-4बी के प्रेक्षेपण के सिल-सिले में काफी भागा-दौड़ी करनी पड़ रही हैं। इस लिए उनका विशेष ख्याल रखा जाए। इसी बात को ध्यान में रखते हुए स्वयं राष्ट्रपति जी ने अभी कुछ देर पहले ही विशेष विमान की व्यवस्था करवाई है। अब आप लोग तीन घंटे बाद नहीं बस आधे घंटे मे ही भारत के लिए आराम से रवाना हो सकते हैं।‘  वैज्ञानिक बहुत खुश थे। वे रेस्ट रूम में मात्र आधे घंटे रूके तथा तुरंत ही भारत के लिए रवाना हो गए।
डॉ. कलाम अपने इतने व्यस्त समय में भी यह स्मरण रखते थे या यू कहे कि उन्हें फिक्र रहती थी कि आज संचार उपग्रह का प्रेक्षेपण होने वाला है तथा इसको सफल बनाने के लिए कितने ही वैज्ञानिक देश-विदेश में भागा-दौड़ी कर रहे है ताकि यह अभियान सफल हो जाए।

Abdul Kalam – Motivational Story #4

सहानुभूतिशील तथा सरल व्यक्तित्व

 

 एक दिन सुबह ग्यारह बजे डॉ. कलाम ने माशेलकर जी के यहां फोन किया और कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा गठित नॉलेज टास्क फोर्स की बैठक बुलाई है। उस समय डॉ. कलाम तथा डॉ. माशेलकर परिचालन समिति पर एक साथ काम कर रहे थे। डॉ. माशेलकर ने बैठक में शामिल होने में असमर्थता जताई और बताया कि उन्हें चार बजे की फलाइट से पुणे जाना था। उन्होंने कलाम को बताया कि उसी सुबह पुणे से उनके पास फोन आया था कि उनकी पत्नी गंभीर रूप से बीमार हैं। उनका पुणे जाना बहुत आवश्यक है। उन्हें लगा की महत्वपूर्ण दायित्व पहले पूरे करने चाहिए। इसलिए उन्होंने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए थे और पहली फ्लाइट से वे वापस पुणे जा रहे थे। उस समय स्थिति इतनी तनाव पूर्ण थी कि माशेलकर खुद पर नियंत्रण नहीं कर सके और फोन पर ही रो पड़े। डॉ. कलाम ने उन्हें सांत्वना दी। उनकी बातचीत समाप्त हो गई।
किंतु पंद्रह मिनट बाद वे ये देखकर आश्चर्यचकित रह गये थे कि, डॉ. कलाम अपनी एक मीटिंग छोड़कर उनके ऑफिस में थे। उन्होंने उनके साथ एक घंटा बिताया।
यह घटना हमें यह बताती हैं, कि कलाम दूसरों का किताना ध्यान रखते थे और उदारह्दय व्यक्ति थे।

Abdul Kalam – Motivational Story #5

बेहतरीन  नेतृत्वकर्ता 

 

एक बार ए पी जे अब्दुल कलाम जी का interview लिया जा रहा था. उनसे एक सवाल पूछा गया और उस सवाल के जवाब को ही हम यहाँ बता रहे हैं –

सवाल: क्या आप हमें अपने व्यक्तिगत जीवन से कोई उदहरण दे सकते हैं कि हमें हार को किस तरह स्वीकार करना चाहिए? एक अच्छा Leader हार को किस तरह फेस करता हैं ?

ए पी जे अब्दुल कलाम जी: मैं आपको अपने जीवन का ही एक अनुभव सुनाता हूँ. 1973 में मुझे भारत के satellite launch program, जिसे SLV-3 भी कहा जाता हैं, का head बनाया गया। हमारा Goal था की 1980 तक किसी भी तरह से हमारी Satellite ‘रोहिणी’ को अंतरिक्ष में भेज दिया जाए. जिसके लिए मुझे बहुत बड़ा बजट दिया गया और Human resource भी Available कराया गया, पर मुझे इस बात से भी अवगत कराया गया था की निश्चित समयतक हमें ये Goal पूरा करना ही है।

हजारों लोगों ने बहुत मेहनत की। 1979 तक- शायद अगस्त का महीना था- हमें लगा की अब हम पूरी तरह से तैयार हैं। Launch के दिन प्रोजेक्ट Director होने के नाते. मैं कंट्रोल रूम में Launch बटन दबाने के लिए गया। Launch से 4 मिनट पहले Computer उन चीजों की List को जांचने लगा जो जरुरी थी. ताकि कोई कमी न रह जाए. और फिर कुछ देर बाद Computer ने Launch रोक दिया l वो बता रहा था की कुछ चीज़े आवश्यकता अनुसार सही स्थिति पर नहीं हैं l

मेरे साथ ही कुछ Experts भी थे. उन्होंने मुझे विश्वास दिलाया की सब कुछ ठीक है, कोई गलती नहीं हुई हैं और फिर मैंने Computer के निर्देश को Bypass कर दिया । और राकेट Launch कर दिया.FIRST स्टेज तक सब कुछ ठीक रहा, पर सेकंड स्टेज तक गड़बड़ हो गयी. राकेट अंतरिक्ष में जाने के बजाय बंगाल की खाड़ी में जा गिरा। ये एक बहुत ही बड़ी असफ़लता थी।

उसी दिन, Indian Space Research Organisation (I.S.R.O.) के चेयरमैन प्रोफेसर सतीश धवन ने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई । प्रोफेसर धवन, जो की संस्था के प्रमुख थे. उन्होंने Mission की असफ़लता की सारी ज़िम्मेदारी खुद ले लीं और कहा कि हमें कुछ और Technological उपायों की जरुरत थी। पूरी देश दुनिया की Media वहां मौजूद थी़ । उन्होंने कहा की अगले साल तक ये कार्य संपन्न हो ही जायेगा।

अगले साल जुलाई 1980 में हमने दोबारा कोशिश की । इस बार हम सफल हुए । पूरा देश गर्व महसूस कर रहा था। इस बार भी एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई गयी। प्रोफेसर धवन ने मुझे Side में बुलाया और कहा – ” इस बार तुम प्रेस कांफ्रेंस Conduct करो”

उस दिन मैंने एक बहुत ही जरुरी बात सीखी -जब असफ़लता आती हैं तो एक LEADER उसकी पूरी जिम्मेदारी लेता हैं और जब सफ़लता मिलती है तो वो उसे अपने साथियों के साथ बाँट देता हैं।

Abdul Kalam – Inspirational Story #6

 

राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम ने एक बार ये कहानी सुनाई थी
जब मैं छोटा बच्चा था तब प्रतिदिन मेरी माँ हम सब के लिए खाना बनाया करती थी
एक रात की बात है, माँ ने सब्जी रोटी बनायीं और पिताजी को परोस दिया। मैंने देखा रोटी बिलकुल जली हुई थी!
मैं ये सोच रहा था की किसी ने ये बात नोटिस करी या नहीं मेरे पिता ने वो रोटी बिना कुछ कहे प्रेम से खा ली और मुझसे पुछा “बेटा आज स्कूल का दिन कैसा रहा? “
मुझे याद है की मेरी माँ ने उस दिन जली रोटी बनाने के लिए पिताजी से क्षमा मांगी थी जिसपर पिताजी ने हँसते हुए कहा था. चिंता मत करो मुझे जाली रोटियां पसंद हैं !
बाद में जब मैंने पिताजी से पुछा क्या आपको जाली रोटियां सच में पसंद हैं?
पिता जी ने ना में सर हिलाते हुए कहा – एक जली हुई रोटी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकती पर जले हुए शब्द बहुत कुछ बिगाड़ सकते हैं !

Abdul Kalam – Inspirational Story #7

 
 एक बार, डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम ने एक इमारत की दीवार पर, जिसे संरक्षण की जरूरत थी, टूटे शीशे डालने के सुझाव को खारिज कर दिया। क्यों? क्योंकि टूटा कांच पक्षियों के लिए हानिकारक होगा
उस समय डॉ कलाम रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ थे और उनकी टीम ने एक इमारत की परिधि को सुरक्षित करने के विकल्पों पर चर्चा की थी। डॉ कलाम ने कथित तौर पर कहा: “हम ऐसा करते हैं, तो पक्षी दीवार पर बसेरा करने में सक्षम नहीं होंगे।”

Abdul Kalam – Inspirational Story #8

 

जब युवाओं और किशोरों ने राष्ट्रपति कलाम के साथ एक बैठक का अनुरोध किया, तो राष्ट्रपति ने न केवल बच्चों को अपने कीमती समय दिया, बल्कि बच्चों के विचारों को ध्यान से सुना!
राष्ट्रपति के रूप में, अक्सर डॉ कलाम के कार्यालय को देश भर से युवाओं से बैठक के लिए अनुरोध प्राप्त होते थे। डॉ कलाम राष्ट्रपति  भवन में उनके निजी कक्ष में बच्चों को अपना कीमती समय देने के अलावा उनके विचारों को सुनते और बच्चों को फीडबैक भी देते थे. कभी कभी तो वह बच्चों से उनके आइडियाज के बारे में फॉलो-up भी कर लेते थे.

Abdul Kalam – Inspirational Story #9

 

 
 जब यह घोषित किया गया था की डॉ कलाम अगले राष्ट्रपति  होंगे, इसके तुरंत बाद, उन्होंने एक भाषण देने के लिए एक मामूली स्कूल का दौरा किया। उनकी सुरक्षा का इंतज़ाम वहां बहुत कम था, और बिजली जाने पर उन्होंने स्थिति का नियंत्रण भी किया।
लगभग 400 छात्रों को सम्बोधित करते हुए डॉ कलाम बिजली जाने पर भीड़ के बीच में चले गए और छात्रों से उन्हें घेर लेने को कहा. फिर बिना किसी माइक्रोफोन के उहोंने 400 छात्रों से बात की और, हमेशा की तरह, एक प्रेरक भाषण दिया जो उन बच्चों को हमेशा याद रहेगा।

Abdul Kalam – Inspirational Story #10

 
 राष्ट्रपति कलाम ने PURA (Providing Urban Amenities to Rural Areas) नामक एक ट्रस्ट को अपने पूरे जीवन की बचत और वेतन दान से दिया।
सरकार तत्कालीन एवं सभी पूर्व राष्ट्रपतियों का अच्छी तरह से ख्याल रखती है। ये जानने के बाद, राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान डॉ कलाम ने ग्रामीण आबादी के लिए शहरी सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में काम करने वाले एक कोष को अपनी सारी दौलत और जीवन बचत देने का फैसला किया। ऐसा कहा जाता है की, डॉ कलाम ने डॉ वर्गीज कुरियन, जो की अमूल के संस्थापक हैं, को फोन किया, और कहा: “अब जब मैं भारत का राष्ट्रपति बन गया हूँ, सरकार मेरे जीवन भर मेरा ख्याल रखेगी. ऐसे में मैं अपनी बचत और वेतन के साथ क्या कर सकता हूँ? ”

Abdul Kalam – Inspirational Story #11

 
डॉ कलाम इतने विनम्र थे कि वह अपने प्रशंसकों के लिए उनके साथ तस्वीरें लेने के देने की खातिर के लिए थोड़ा देर से समारोह से जाने में नहीं हिचकिचाते थे !
एक बार डॉ कलाम आईआईएम अहमदाबाद में एक समारोह में मुख्य अतिथि थे। घटना से पहले, वह साठ छात्रों के एक वर्ग के साथ लंच कर रहे थे। दोपहर के भोजन के अंत में, सभी छात्र पूर्व राष्ट्रपति के साथ एक तस्वीर चाहते थे।
देरी का हवाला देते हुए कार्यक्रम के आयोजक छात्रों को रफादफा करने की कोशिश करते रहे ; लेकिन हर किसी को आश्चर्य चकित करते हुए डॉ कलाम ने आयोजकों को शांत रहने के लिए कहा और कहा की हर व्यक्ति जो उनके साथ एक तस्वीर चाहता है, जब तक ले नहीं लेगा, वह नहीं जाएंगे!

Abdul Kalam – Inspirational Story #12

 
 एक घटना के दौरान एक बार, डॉ कलाम ने अपने लिए नामित एक कुर्सी पर बैठने से इसलिए इनकार कर दिया किया गया था क्योंकि वह कुर्सी अन्य कुर्सियों की तुलना में आकार में बड़ी थी. 
आईआईटी-वाराणसी के हाल के एक दीक्षांत समारोह में डॉ कलाम मुख्य अतिथि थे। मंच पर पाँच कुर्सियां थीं, जिनमें डॉ कलाम के लिए केंद्र की कुर्सी थी एवं विश्वविद्यालय के शीर्ष अधिकारियों के लिए नामित चार अन्य कुर्सियां थीं। अपनी कुर्सी को दूसरों की तुलना में आकार में बड़ा होने के नाते देखकर डॉ कलाम ने उस पर बैठने से इनकार कर दिया और अपने बजाय वाइस चांसलर को उस पर बैठाने की पेशकश की। कुलपति जाहिर है, ऐसा नहीं कर सके।
इसमें कोई शक नहीं था की आनन-फानन में एक और कुर्सी माननीय पूर्व राष्ट्रपति के लिए तुरंत उपलब्ध कराई जाए और ऐसा ही हुआ!

Abdul Kalam – Inspirational Story #13

 
 राष्ट्रपति कलाम ने राष्ट्रपति बनने के बाद केरल की अपनी पहली यात्रा के दौरान केरल के राजभवन में “राष्ट्रपति अतिथि के रूप में” किसे आमंत्रित किया?
1. एक सड़क का मोची
2. एक बहुत ही छोटे से होटल का स्वामी
यह मजाक नहीं है। राष्ट्रपति के रूप में डॉ कलाम त्रिवेंद्रम की अपनी पहली यात्रा के दौरान वे केरल के राजभवन में “राष्ट्रपति मेहमान ‘के रूप में अपनी तरफ से किन्ही दो लोगों को बुलाने का अधिकार था | डॉ कलाम ने त्रिवेंद्रम में एक वैज्ञानिक के रूप में एक महत्वपूर्ण समय बिताया था और उन्होंने एक सड़क के किनारे मोची को आमंत्रित किया जो  केरल में उनके समय के दौरान डॉ कलाम के काफी करीब था. उन्होंने उस छोटे से होटल के मालिक को भी आमंत्रित किया जहाँ डा कलाम अक्सर अपने भोजन के लिए जाते थे।

Abdul Kalam – Inspirational Story #14

 
 मुख्य अतिथि के रूप में एक कॉलेज के समारोह में भाग लेने के लिए जाने वाले ए पी जे ने एक बार रात में देर से समारोह स्थल पर जाकर घटना की आयोजन समिति के छात्रों को हैरान कर दिया।
उन्होंने कहा की वे इतनी रात आकर असल में मेहनती लोगों से मिलना चाहते थे. वे एक खुली जीप में बिना किसी सुरक्षा के साथ आये थे और उन्होंने आयोजकों से काफी बातें कीं.

Abdul Kalam – Inspirational Story #15

 
 राष्ट्रपति कलाम को अपने धन्यवाद कार्ड खुद ही लिखने के लिए जाना जाता है।

एक बार क्लास 6th के एक स्टूडेंट ने “Wings Of Fire”किताब पढने के बाद डॉ कलाम का एक स्केच बनाया। परिवार वालों ने encourage किया कि इसे President को भेजो। लड़के ने सोचा इससे क्या होगा, ये तो उन्हें मिलेगा भी नहीं, पर फिर भी बहुत जोर डालने पर उसने स्केच भेज दिया। कुछ दिन बाद उसे डॉ. कलाम का sign किया हुआ Thank You note आया।
Source- Internet,books

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दोस्तों यह पोस्ट कैसी लगी कृपया अपना फीडबैक जरुर दे , धन्यवाद 



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